Meri Matribhoomi Mandir Hai | मेरी मातृभूमी मंदिर है | RSS Geet
मेरी मातृभूमी मंदिर है ॥धृ॥ श्वेत हिमलय शृंग बना है शिव का तांडव बल अपना है भगवा-ध्वज यश गौरव वाला...
मेरी मातृभूमी मंदिर है ॥धृ॥ श्वेत हिमलय शृंग बना है शिव का तांडव बल अपना है भगवा-ध्वज यश गौरव वाला...
नाहं प्रकाश: सर्वस्य योगमायासमावृत:। मूढोऽयं नाभिजानाति लोको मामजमव्ययम्।। अपनी योगमाया से ढंका हुआ मैं सबको महसूस नहीं होता। इसलिए यह...
वेदाहं समतीतानि वर्तमानानि चार्जुन। भविष्याणि च भूतानि मां तु वेद न कश्चन।। 7/26 हे अर्जुन! मैं भूतकाल की हर घटना...
इच्छाद्वेषसमुत्थेन द्वन्द्वमोहेन भारत। सर्वभूतानि सम्मोहं सर्गे यान्ति परन्तप।। गीता 7/27।। अर्थ : हे भरतवंशी अर्जुन! इच्छा और द्वेष से उत्पन्न...
येषां त्वन्तगतं पापं जनानां पुण्यकर्मणाम्। ते द्वन्द्वमोहनिर्मुक्ता भजन्ते मां दृढव्रता:।। गीता 7/28।। अर्थ : परंतु, पुण्य कर्म करने वाले जिन...
जरामरणमोक्षाय मामाश्रित्य यतन्ति ये। ते ब्रह्म तद्विदु: कृत्स्नमध्यात्मं कर्म चाखिलम्।। गीता 7/29।। अर्थ : जो मेरी शरण होकर जरा-मृत्यु से...
साधिभूताधिदैवं मां साधियज्ञं च ये विदु:। प्रयाणकालेऽपि च मां ते विदुर्युक्तचेतस:।। गीता 7/30।। अर्थ : जो मुझे अधिभूत, अधिदैव और...
अधियज्ञ: कथं कोऽत्र देहेऽस्मिन्मधुसूदन। प्रयाणकाले च कथं ज्ञेयोऽसि नियतात्मभि: ।।गीता 8/2।। अर्थ : हे मधुसूदन ! अधियज्ञ कौन है और...
श्रीभगवानुवाच। अक्षरं ब्रह्म परमं स्वभावोऽध्यात्ममुच्यते। भूतभावोद्भवकरो विसर्ग: कर्मसञ्ज्ञित: ।। गीता 8/3।। अर्थ : श्री भगवान् बोले ! ब्रह्म, परम अक्षर...
अन्तकाले च मामेव स्मरन्मुक्त्वा कलेवरम्। य: प्रयाति स मद्भावं याति नास्त्यत्र संशय: ।। गीता 8/5।। अर्थ : जो देहाध्यास के...
तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च। मय्यर्पितमनोबुद्धिर्मामेवैष्यस्यसंशयम्।। गीता 8/7।। अर्थ: इसलिए सभी कालों में मेरा स्मरण कर और युद्ध कर! जब...
कविं पुराणमनुशासितार मणोरणीयांसमनुस्मरेद्य:। सर्वस्य धातारमचिन्त्यरूप मादित्यवर्णं तमस: परस्तात् ।। गीता 8/9।। अर्थ : जो सर्वज्ञ, पुरातन, सबका शासक, सूक्ष्म से...