बुद्धिमान की बुद्धि और तपस्वी का तेज ‘मैं’
बीजं मां सर्वभूतानां विद्धि पार्थ सनातनम् | बुद्धिर्बुद्धिमतामस्मि तेजस्तेजस्विनामहम्||7/10 हे अर्जुन! सब प्राणियों का सनातन बीज मुझे जानो। मैं बुद्धिमानों...
बीजं मां सर्वभूतानां विद्धि पार्थ सनातनम् | बुद्धिर्बुद्धिमतामस्मि तेजस्तेजस्विनामहम्||7/10 हे अर्जुन! सब प्राणियों का सनातन बीज मुझे जानो। मैं बुद्धिमानों...
बलं बलवतां चाहं कामरागविवर्जितम्। धर्माविरुद्धो भूतेषु कामोऽस्मि भरतर्षभ || गीता 7/11|| अर्थ : हे भरतश्रेष्ठ ! बलवानों का काम व...
स तया श्रद्धया युक्तस्तस्याराधनमीहते | लभते च तत: कामान्मयैव विहितान्हि तान् || गीता 7/22|| अर्थ : प्रभु कहते हैं कि...
त्रिभिर्गुणमयैर्भावैरेभि: सर्वमिदं जगत् | मोहितं नाभिजानाति मामभ्य: परमव्ययम् || गीता 7/13|| अर्थ : इन तीनों गुणों के भावों से यह...
अव्यक्तं व्यक्तिमापन्नं मन्यन्ते मामबुद्धय: | परं भावमजानन्तो ममाव्ययमनुत्तमम् || गीता 7/24|| अर्थ : बुद्धिहीन लोग मेरे अविनाशी और सर्वश्रेष्ठ परम...
नाहं प्रकाश: सर्वस्य योगमायासमावृत:। मूढोऽयं नाभिजानाति लोको मामजमव्ययम्।। अपनी योगमाया से ढंका हुआ मैं सबको महसूस नहीं होता। इसलिए यह...
वेदाहं समतीतानि वर्तमानानि चार्जुन। भविष्याणि च भूतानि मां तु वेद न कश्चन।। 7/26 हे अर्जुन! मैं भूतकाल की हर घटना...
इच्छाद्वेषसमुत्थेन द्वन्द्वमोहेन भारत। सर्वभूतानि सम्मोहं सर्गे यान्ति परन्तप।। गीता 7/27।। अर्थ : हे भरतवंशी अर्जुन! इच्छा और द्वेष से उत्पन्न...
येषां त्वन्तगतं पापं जनानां पुण्यकर्मणाम्। ते द्वन्द्वमोहनिर्मुक्ता भजन्ते मां दृढव्रता:।। गीता 7/28।। अर्थ : परंतु, पुण्य कर्म करने वाले जिन...
जरामरणमोक्षाय मामाश्रित्य यतन्ति ये। ते ब्रह्म तद्विदु: कृत्स्नमध्यात्मं कर्म चाखिलम्।। गीता 7/29।। अर्थ : जो मेरी शरण होकर जरा-मृत्यु से...
साधिभूताधिदैवं मां साधियज्ञं च ये विदु:। प्रयाणकालेऽपि च मां ते विदुर्युक्तचेतस:।। गीता 7/30।। अर्थ : जो मुझे अधिभूत, अधिदैव और...
अधियज्ञ: कथं कोऽत्र देहेऽस्मिन्मधुसूदन। प्रयाणकाले च कथं ज्ञेयोऽसि नियतात्मभि: ।।गीता 8/2।। अर्थ : हे मधुसूदन ! अधियज्ञ कौन है और...