SRIMADBHAGWAT GEETA MEANING IN HINDI

गीता ज्ञानः इस तरह आत्मा तक पहुंच सकते हैं

राजविद्या राजगुह्यं पवित्रमिदमुत्तमम् | प्रत्यक्षावगमं धर्म्यं सुसुखं कर्तुमव्ययम् || गीता 9/2|| अर्थ: यह विज्ञान सहित ज्ञान सब विद्याओं का राजा,...

जब भगवान कृष्ण ने अर्जुन को दिया यह गोपनीय ज्ञान

इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे| ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्|| गीता 9/1 अर्थ: श्री भगवान बोले- तुझ दोषरहित के लिए इस...

भले ही आप कुछ भी कर रहे है हों लेकिन इस बात को हमेशा रखें याद

नैते सृती पार्थ जानन्योगी मुह्यति कश्चन | तस्मात्सर्वेषु कालेषु योगयुक्तो भवार्जुन || गीता 8/27|| अर्थ: हे पार्थ! इन मार्गों का...

गीता में लिखा है, तो मिल जाता है मृत्युलोक से छुटकारा

अव्यक्तोऽक्षर इत्युक्तस्तमाहु: परमां गतिम् | यं प्राप्य न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम || गीता 8/21|| अर्थ: जो अव्यक्त अक्षर कहा...

यही व्यक्ति दोबारा जन्म लेकर लौटते हैं धरती पर

शुक्लकृष्णे गती ह्येते जगत: शाश्वते मते | एकया यात्यनावृत्तिमन्ययावर्तते पुन: ।। गीता 8/26।। अर्थ: प्रकाश और अंधकार जगत में ये...

जानें क्या होता है जब अधूरी इच्छाओं के साथ मृत्यु होती है

धूमो रात्रिस्तथा कृष्ण: षण्मासा दक्षिणायनम् | तत्र चान्द्रमसं ज्योतिर्योगी प्राप्य निवर्तते ।। गीता 8/25।। अर्थ: धुआं, रात्रि, कृष्ण पक्ष और...

गीता ज्ञानः इस काल में देह त्याग से जन्म-मरण के चक्र से होते हैं मुक्त

यत्र काले त्वनावृत्तिमावृत्तिं चैव योगिन:| प्रयाता यान्ति तं कालं वक्ष्यामि भरतर्षभ|| गीता 8/23|| अर्थ: हे भरत श्रेष्ठ! जिस काल में...

जानें, ब्रह्मा की इस सृष्टि में दिन-रात का क्या है असल अर्थ

अव्यक्ताद्व्यक्तय: सर्वा: प्रभवन्त्यहरागमे | रात्र्यागमे प्रलीयन्ते तत्रैवाव्यक्तसञ्ज्ञके || गीता 8/18|| अर्थ: ब्रह्मा का दिन होने पर अव्यक्त से व्यक्त सृष्टि...

इसलिए ही मनुष्य को बार-बार जन्म लेकर मरना पड़ता है

भूतग्राम: स एवायं भूत्वा भूत्वा प्रलीयते। रात्र्यागमेऽवश: पार्थ प्रभवत्यहरागमे।। गीता 8/19|| अर्थ : हे अर्जुन! वही यह भूतसमुदाय परवश हुआ...

सनातन भाव में बने रहने से इस तरह मिलती है मुक्ति

परस्तस्मात्तु भावोऽन्योऽव्यक्तोऽव्यक्तात्सनातन: | य: स सर्वेषु भूतेषु नश्यत्सु न विनश्यति || गीता 8/20|| अर्थ: निश्चित रूप से इस अव्यक्त से...

मृत्यु के बाद जीवात्मा कुछ समय तक यहां रहती है

आब्रह्मभुवनाल्लोका: पुनरावर्तिनोऽर्जुन। मामुपेत्य तु कौन्तेय पुनर्जन्म न विद्यते।। गीता 8/16।। अर्थ : हे अर्जुन! ब्रह्म लोक सहित सभी लोक पुनरावृति...