Month: June 2021

गीता में बताया गया है इस तरह इकट्ठा होता है हमारे कर्मों का लेखा-जोखा

प्रकृतिं स्वामवष्टभ्य विसृजामि पुन: पुन:| भूतग्राममिमं कृत्स्नमवशं प्रकृतेर्वशात्|| गीता 9/8|| अर्थ: अपनी प्रकृति को वश में करके जो प्रकृति के...

गीता में बताया गया है ऐसे होता है सृष्टि का आरंभ और अंत

सर्वभूतानि कौन्तेय प्रकृतिं यान्ति मामिकाम्। कल्पक्षये पुनस्तानि कल्पादौ विसृजाम्यहम् गीता।।9/7।। अर्थ: हे कौन्तेय! सब भूत कल्पों के अंत में मेरी...

ब्रह्माण्ड में क्या व्याप्त है, इस तरह जानें

यथाकाशस्थितो नित्यं वायु: सर्वत्रगो महान् | तथा सर्वाणि भूतानि मत्स्थानीत्युपधारय || गीता 9/6|| अर्थ: जैसे सर्वत्र विचरण करने वाला महान्...

भगवान इस तरह संसार में स्थित हैं कभी गौर करके देखिए

मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना। मत्स्थानि सर्वभूतानि न चाहं तेष्ववस्थित:।। गीता 9/4।। अर्थ: मुझे अव्यक्त से यह संपूर्ण जगत व्याप्त है,...

बिना इस ज्ञान के नहीं पा सकते जन्म-मरण का चक्र से मुक्ति

अश्रद्दधाना: पुरुषा धर्मस्यास्य परन्तप | अप्राप्य मां निवर्तन्ते मृत्युसंसारवर्त्मनि || गीता 9/3|| अर्थ: हे परंतप! जो पुरुष इस धर्म (ज्ञान)...

गीता ज्ञानः इस तरह आत्मा तक पहुंच सकते हैं

राजविद्या राजगुह्यं पवित्रमिदमुत्तमम् | प्रत्यक्षावगमं धर्म्यं सुसुखं कर्तुमव्ययम् || गीता 9/2|| अर्थ: यह विज्ञान सहित ज्ञान सब विद्याओं का राजा,...

जब भगवान कृष्ण ने अर्जुन को दिया यह गोपनीय ज्ञान

इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे| ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्|| गीता 9/1 अर्थ: श्री भगवान बोले- तुझ दोषरहित के लिए इस...

भले ही आप कुछ भी कर रहे है हों लेकिन इस बात को हमेशा रखें याद

नैते सृती पार्थ जानन्योगी मुह्यति कश्चन | तस्मात्सर्वेषु कालेषु योगयुक्तो भवार्जुन || गीता 8/27|| अर्थ: हे पार्थ! इन मार्गों का...

गीता में लिखा है, तो मिल जाता है मृत्युलोक से छुटकारा

अव्यक्तोऽक्षर इत्युक्तस्तमाहु: परमां गतिम् | यं प्राप्य न निवर्तन्ते तद्धाम परमं मम || गीता 8/21|| अर्थ: जो अव्यक्त अक्षर कहा...

यही व्यक्ति दोबारा जन्म लेकर लौटते हैं धरती पर

शुक्लकृष्णे गती ह्येते जगत: शाश्वते मते | एकया यात्यनावृत्तिमन्ययावर्तते पुन: ।। गीता 8/26।। अर्थ: प्रकाश और अंधकार जगत में ये...

जानें क्या होता है जब अधूरी इच्छाओं के साथ मृत्यु होती है

धूमो रात्रिस्तथा कृष्ण: षण्मासा दक्षिणायनम् | तत्र चान्द्रमसं ज्योतिर्योगी प्राप्य निवर्तते ।। गीता 8/25।। अर्थ: धुआं, रात्रि, कृष्ण पक्ष और...

गीता ज्ञानः इस काल में देह त्याग से जन्म-मरण के चक्र से होते हैं मुक्त

यत्र काले त्वनावृत्तिमावृत्तिं चैव योगिन:| प्रयाता यान्ति तं कालं वक्ष्यामि भरतर्षभ|| गीता 8/23|| अर्थ: हे भरत श्रेष्ठ! जिस काल में...