Dharma

जानें, कैसे चार तरह के लोग भगवान को पूजते हैं

चतुर्विधा भजन्ते मां जना: सुकृतिनोऽर्जुन। आर्तो जिज्ञासुरर्थार्थी ज्ञानी च भरतर्षभ || गीता 7/16|| अर्थ: हे भरतश्रेष्ठ अर्जुन ! चार प्रकार...

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं ऐसे भक्त मुझे सबसे अच्छे लगते है

तेषां ज्ञानी नित्ययुक्त एक भक्ति र्विशिष्यते| प्रियो हि ज्ञानिनोऽत्यर्थमहं स च मम प्रिय || गीता 7/17 || अर्थ: उनमें से...

गीता ज्ञानः तब व्यक्ति को फिर जन्म नहीं लेना पड़ता

बहूनां जन्मनामन्ते ज्ञानवान्मां प्रपद्यते। वासुदेव: सर्वमिति स महात्मा सुदुर्लभ:।। गीता 7/19।। अर्थ : अनेक जन्मों के अंत में जो ज्ञानवान...

भोग की इच्छाओं के अनुसार देवताओं की पूजा

कामैस्तैस्तैर्हृतज्ञाना: प्रपद्यन्तेऽन्यदेवता:। तं तं नियममास्थाय प्रकृत्या नियता: स्वया।। 7/20 जिन लोगों का ज्ञान कामनाओं की वजह से समाप्त जा चुका...